इस अनोखी तकनीक से अब आप अपने पसीने से मोबाइल चार्ज कर पाएंगे
मोबाइल हमारे जीवन का एक जरूरी होइसा बन गया है। सुबह हो शम्म आप हर इंसान को हाथ में मोबाइल लिए हुए जरूर देखेंगे। अब जब मोबाइल इतना जरूरी है तो उसे चार्ज करना भी उतना ही जरूरी है। आप मोबाइल चार्ज करने के लिए चार्जर और बिजली का प्रयोग करते होंगे लेकिन जल्दी ही ऐसी तकनीक विकसित होने जा रही है जिस से आप अपने पसीने से मोबाइल को चार्ज कर सकेंगे।
तो अब तईयार हो जाइये क्योंकि अगर आपको मोबाइल चार्ज करना है तो मेहनत करके पसीना भी बहाना पड़ेगा।
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह बताया कि इस नई तकनीक से स्मार्टफोन को आसानी से चार्ज किया जा सकता है। विशेषकर जब आप सुबह-सुबह पार्क में दौड़ते हैं, या जिम में वर्कआउट करते हुये पसीना बहाते हैं तब आपकी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस आराम से चार्ज हो सकती है। यह तकनीक एथलीट्स के लिये काफी कारगर साबित होगी, जो कि ट्रेक पर खूब पसीना बहाते हैं। इसके उपयोग को और बेहतर बनाने के लिये कुछ बायो सेंसर भी इसके साथ लगाये जा सकते हैं, जो फिटनेस संबंधी आंकड़ों पर नज़र रखेंगे।
इस शोध को आगे बढ़ाते हुये भविष्य में पसीने पर आधारित कई युक्तियां बनाई जा सकेगी। जैसे डायबिटीज मरीज का सुगर लेवल चेक करने के लिये इलेक्ट्रॉनिक मीटर। पसीने में उपस्थित लेक्टिक अम्ल की मात्रा उस व्यक्ति की मांसपेशियों का हालचाल बताती है। वियरेबल सेंसर्स, जो कि स्वास्थ्य से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं, उनके लिये पावर की समस्या को इस तरह के पेंच लगाकर दूर की जा सकती है। यानि अगली बार जब आप पसीने से लथपथ हो तो आपके मोबाइल की चार्ज होती बैटरी आपको राहत प्रदान करेगी।
तो अब तईयार हो जाइये क्योंकि अगर आपको मोबाइल चार्ज करना है तो मेहनत करके पसीना भी बहाना पड़ेगा।
मोबाइल चार्जिंग तकनीक
इस तकनीक के अंतर्गत त्वचा पर एक स्किन पेंच लगाया जायेगा, जो पसीने को ऊर्जा में कंवर्ट कर देगा। यह फ्लेक्सिबल पेंच कुछ सेंटीमीटर का होता है। इस ट्रांसड्यूसर में विशेष एंजाइम होते हैं, जो पसीने में मौजूद लेक्टिक एसिड के साथ क्रिया करके पावर जनरेट करते हैं। इस पेंच के नमूने ने अपनी ऊर्जा से एक रेडियो को दो दिन तक चलाया। जैंव ईंधन तकनीक में यह सिस्टम और भी सुधार कर सकेगा।कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह बताया कि इस नई तकनीक से स्मार्टफोन को आसानी से चार्ज किया जा सकता है। विशेषकर जब आप सुबह-सुबह पार्क में दौड़ते हैं, या जिम में वर्कआउट करते हुये पसीना बहाते हैं तब आपकी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस आराम से चार्ज हो सकती है। यह तकनीक एथलीट्स के लिये काफी कारगर साबित होगी, जो कि ट्रेक पर खूब पसीना बहाते हैं। इसके उपयोग को और बेहतर बनाने के लिये कुछ बायो सेंसर भी इसके साथ लगाये जा सकते हैं, जो फिटनेस संबंधी आंकड़ों पर नज़र रखेंगे।
इस शोध को आगे बढ़ाते हुये भविष्य में पसीने पर आधारित कई युक्तियां बनाई जा सकेगी। जैसे डायबिटीज मरीज का सुगर लेवल चेक करने के लिये इलेक्ट्रॉनिक मीटर। पसीने में उपस्थित लेक्टिक अम्ल की मात्रा उस व्यक्ति की मांसपेशियों का हालचाल बताती है। वियरेबल सेंसर्स, जो कि स्वास्थ्य से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं, उनके लिये पावर की समस्या को इस तरह के पेंच लगाकर दूर की जा सकती है। यानि अगली बार जब आप पसीने से लथपथ हो तो आपके मोबाइल की चार्ज होती बैटरी आपको राहत प्रदान करेगी।
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