ये तथ्य जानेंगे तो आईने में फ़ौरन अपना चेहरा देखेंगे | Traxler effect and peripheral fading
ट्रॉक्सलर प्रभाव | Traxler Effect
अरबिनो विश्वविद्यालय, इटली में हुई रिसर्च के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि काँच में लगातार देखते रहने से ट्रॉक्सलर इफेक्ट की वजह से हमें चेहरे के प्रतिबिंब में परिवर्तन महसूस होने लगते हैं। रिसर्च के अनुसार 50 व्यक्तियों को 10 मिनट तक अकेले कमरे में दर्पण में अपना चेहरा देखने को कहा गया। 66 प्रतिशत लोगों ने अपने प्रतिबिंब में परिवर्तन देखा। इनमें से ज्यादातर लोगों ने दानवाकार आकृति को देखने की पुष्टि की, जबकि बाकी लोगों ने कुछ जानवरों की आकृति देखी।ब्रेन के न्यूरॉन | Brain Neurons
सन 1804 में एक स्विस दार्शनिक इग्नाज पॉल विटाल ट्रॉक्सलर ने इस प्रभाव के बारे में पता लगाया था। इन के अनुसार यदि कोई व्यक्ति आईने में लगातार किसी एक ही बिंदु को घूरता रहे, तो कुछ समय पश्चात उस के प्रतिबिंब में हमें विकृति दिखाई देने लगती है। ये घटना ब्रेन के न्यूरॉन की वजह से होती है, और पेरिफेरल फेडिंग न्यूरल सिस्टम का ही एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारी आँखें जब किसी एक ही बिंदु पर लगातार फोकस करती है तो आसपास के बैकग्राउंड को धुंधला कर देती है।इस तरह दृष्टि भ्रम पैदा होता है और आईने में हमारा चेहरा बिगड़ा हुआ नज़र आता है। जब भी आप अकेले में शीशे में खुद को निहार रहे हो तब अगर कोई अन्य वस्तु आपको दिखाई दे तो वह मात्र एक भ्रम है, जो आपके दिमाग और आँखों की साझा उपज है।
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