एयर कंडीशनर का उपयोग वातावरण के लिए हानिकारक हो ऐसा जरूरी नहीं, जानिए कैसे
ग्लोबल वार्मिंग काफी समय से चर्चा का विषय है, टेक्नोलॉजी और विज्ञान की तरक्की इंसान के लिए जितनी फायदेमंद रही है वातावरण के लिए उतनी ही हानिकारक है। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने से वातावरण में गर्मी बढ़ी और एयर कंडीशनर भी इंसान की जरूरतों में शामिल हो गया, अगर आप ऐसा सोचते हैं कि आने वाले 20 सालों में एयर कंडीशनर पर्यावरण के लिये नुकसानदायक साबित नहीं होंगे, तो आप इस विषय पर सही या गलत दोनो सिद्द हो सकते हैं। क्योंकि जिस तरह से तकनीक का उपयोग दैनिक जीवन में बढ़ रहा है, उसे देखते हुये कुछ भी कहना मुमकिन नहीं है। हो सकता है परिणाम बेहतर हो, या फिर पहले से ज्यादा खराब। पूर्व में हुये शोध के अनुसार एसी से निकलने वाली क्लोरो-फ्लोरो कार्बन गैस ओजोन लेयर में हुये छेद के आकार को और बढ़ाती है।
कंपनियों में खलबली
इस रिसर्च ने एसी निर्माता कंपनियों में खलबली मचा दी थी। आखिरकार काफी विरोध के चलते सरकार तथा कंपनियों ने 1987 में मोंट्रियल प्रॉटोकॉल लागू किया। जिसके अनुसार 200 देश सीएफसी गैस को कम करने के प्रस्ताव पर सहमत हो गये थे। यह सीएफसी गैस हाइड्रो-फ्लोरो कार्बन (एचएफसी) गैस के द्वारा विस्थापित की गई, जो कि ओजोन परत के लिये व्यापक तौर पर खतरा नहीं थी। हालांकि वैज्ञानिकों के अनुसार यह गैस भी पूर्णतया सुरक्षित नहीं है। ज्यादा मात्रा में होने पर यह गैस भी वायुमंडल के लिये खतरनाक हो सकती है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मात्र 10 प्रतिशत घरों में एसी लगा होता है, लेकिन फिर भी 50 प्रतिशत बिजली एसी के लिये उपयोग की जाती है। आने वाले समय में वातानुकूलित उपकरणों की मांग और भी बढ़ जायेगी। यह एक चिंता का विषय है। यदि हम ऊर्जा तथा पर्यावरण के बारे में फिक्रमंद हैं तो हमें इस समस्या पर भी ध्यान देना होगा। एसी के द्वारा छोड़ी गई गर्म हवा ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देती है।
इस समस्या से निपटने के लिये कुछ नये वैज्ञानिक तरीके तो खोजने होंगे, साथ ही ए.सी के उपयोग को कम करने के लिये वातानुकूलन के पुराने और कुदरती तरीके अपनाना एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
Post Comment
No comments